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मानव जिन्हें मानवीय प्रयत्नों से नहीं टाल सकता, ऐसीं जो तीन-चार प्रकार की मृत्यु मनुष्य के जीवन में आ सकती हैं, उन्हें हम अपमृत्यु अथवा गंडांतर कहते हैं। इसे परमेश्वर ही टाल सकते हैं अर्थात मेरी भक्ति ही टाल सकती है।

मानव जिन्हें मानवीय प्रयत्नों से नहीं टाल सकता, ऐसीं जो तीन-चार प्रकार की मृत्यु मनुष्य के जीवन में आ सकती हैं, उन्हें हम अपमृत्यु अथवा गंडांतर कहते हैं। इसे परमेश्वर ही टाल सकते हैं अर्थात मेरी भक्ति ही टाल सकती है।

भक्ति की अगली अवस्था अर्थात अनुभूति

भक्ति की अगली अवस्था अर्थात अनुभूति। भक्ति से ही अनुभूति मिलती है।

मेरे अच्छे आचरण से मेरी भक्ति निखरने लगती है। अच्छी भक्ति से ही अच्छे प्रयास होने लगते हैं। अच्छे प्रयास से मेरा कर्म और भी अधिक अच्छा होता है।

मेरे अच्छे आचरण से मेरी भक्ति निखरने लगती है। अच्छी भक्ति से ही अच्छे प्रयास होने लगते हैं। अच्छे प्रयास से मेरा कर्म और भी अधिक अच्छा होता है।

किसी भी संकट के आने पर बिलकुल भी मत घबराना। जितना बड़ा संकट, उतनी मेरी भक्ति भी बडी होनी चाहिए, उतनी ही अधिक मेरी कोशिश भी होनी चाहिए।

किसी भी संकट के आने पर बिलकुल भी मत घबराना। जितना बड़ा संकट, उतनी मेरी भक्ति भी बडी होनी चाहिए, उतनी ही अधिक मेरी कोशिश भी होनी चाहिए।

अच्छा या बुरा कार्य करने की शक्ति मेरी सावधानता पर निर्भर करती है और यह सावधानी मुझे केवल परमेश्वर की भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है।

अच्छा या बुरा कार्य करने की शक्ति मेरी सावधानता पर निर्भर करती है और यह सावधानी मुझे केवल परमेश्वर की भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है।