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‘भगवान हैं’ यह सिर्फ मानना ही आस्तिक भावना नहीं है, बल्कि मेरे जीवन में मुझे भगवान चाहिए, भगवान का शासन मुझ पर बना रहे, ऐसी इच्छा होना यह आस्तिक भावना है।

‘भगवान हैं’ यह सिर्फ मानना ही आस्तिक भावना नहीं है, बल्कि मेरे जीवन में मुझे भगवान चाहिए, भगवान का शासन मुझ पर बना रहे, ऐसी इच्छा होना यह आस्तिक भावना है।