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जिसमें देने की प्रवृत्ति होती है, उसे ही भगवान देते रहते हैं। जिसमें लोगों को लूटने की प्रवृत्ति होती है, सिर्फ लोगों से हथियाने की ही प्रवृत्ति होती है, उसे भगवान कुछ नहीं देते।

जिसमें देने की प्रवृत्ति होती है, उसे ही भगवान देते रहते हैं। जिसमें लोगों को लूटने की प्रवृत्ति होती है, सिर्फ लोगों से हथियाने की ही प्रवृत्ति होती है, उसे भगवान कुछ नहीं देते।